शिक्षा के उच्च केंद्रों में कलह :--- सुविवि के बाद अब प्रदेश की नंबर वन रैंक वाली एमपीयूएटी में वीसी- रजिस्ट्रार आमने-सामने*
रजिस्ट्रार बोले- कुलपति कुछ माह में रिटायर होंगेे, भर्तियों का दबाव बना रहे
वीसी ने कहा-3 माह से फाइल दबा रखी है, भाई-भतीजे भर्ती नहीं कर रहा*
Maharana Pratap University of Agriculture and Technology Udaipur
मेवाड़ में शिक्षा के बड़े केंद्र सियासत और आपसी विवाद का सेंटर बनते जा रहे हैं। सुविवि में कुलपति और रजिस्ट्रार का विवाद अभी थमा भी नहीं है कि अब आईसीआर की रैंकिंग में प्रदेश में नंबर-1 और देश में 15वीं रैंकिंग वाली महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) में भी ऐसा ही मामला सामने आ गया है।
यहां भर्ती प्रक्रिया को लेकर कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ और रजिस्ट्रार मुकेश कुमार कलाल आमने-सामने हो गए हैं। रजिस्ट्रार ने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि कुलपति ने आनन-फानन में भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन जारी करने का दबाव बना रहे हैं और इसके लिए अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।
कुलपति का कार्यकाल अगस्त-2022 में पूर्ण हो रहा है। जयपुर राजभवन से आदेश हैं कि कार्यकाल पूर्ण होने के तीन माह पहले कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लिया जाए। यदि विज्ञापन जारी करते हैं तो मौजूदा वीसी के कार्यकाल में भर्ती प्रक्रिया कैसे पूरी की जा सकेगी? अनियमितता की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। उधर, कुलपति का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया को लेकर सीएमओ का दबाव है। तीन माह पहले अप्रूवल आ गई। भर्ती में अपने भाई-भतीजों को तो ले नहीं रहा। वे तीन माह से फाइल को दबाकर क्यों बैठे हैं? काम तो करना ही पड़ेगा।
*पत्र में आरोप- छात्रों से प्रदर्शन कराया, ऐसे तो विवि में काम करना मुश्किल ----
गत 23 मार्च को लिखे गए पत्र में रजिस्ट्रार ने कहा है कि 9 से 13 मार्च तक मैं अवकाश पर जोधपुर चला गया। वहां से आने के बाद 15 मार्च को सुबह 11 बजे कुलपति ने अपने कक्ष में चर्चा के लिए बुलाया। उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा कि आप तुरंत भर्ती का विज्ञापन जारी करें अन्यथा विवि में रहना भारी कर दूंगा। मैंने जब संयत भाषा में बात करने को कहा तो मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। हालांकि, उस समय मैंने कार्यालय प्रक्रिया को अपनाकर प्रक्रिया पूरी कर विज्ञापन जारी करने काे कहा था।
इसके बाद मैंने 24 से 31 मार्च तक छुट्टी ले ली। इससे एक दिन पहले 23 मार्च को मेरे ऑफिस में अन्य विश्वविद्यालय के 50-60 छात्र आए और प्रदर्शन-नारेबाजी करने लगे। छात्राें ने कहा कि आप कल से अवकाश पर जा रहे हैं, ऐसे में आज ही विज्ञापन जारी करें, वरना हम विरोध तेज करेंगे। मेरे अवकाश पर जाने की सूचना छात्रों को कैसे मिली, यह साजिश थी। रजिस्ट्रार ने कहा- ऐसे हालातों में काम करना मुश्किल है।
*पद संभालते ही दबाव :* रजिस्ट्रार कलाल ने पत्र में कहा-उन्होंने 22 जनवरी को पद संभाला। कुछ दिन बाद ही वीसी दबाव बनाने लगे। वर्ष 2017 की विज्ञप्ति को सक्षम आदेशों की अनुपालना में रद्द करना पड़ा। सात मार्च को पत्रावली मेरे पास आई। मैंने कुछ सूचना/टिप्पणी मांगी।
*रजिस्ट्रार छुट्टी पर, दूसरे को चार्ज देने पर भी उठ रहे सवाल*
रजिस्ट्रार मुकेश कलाल के 31 मार्च तक अवकाश पर जाने के बाद उनका चार्ज वित्त नियंत्रक मंजूबाला जैन को दिया गया। इसके दो दिन बाद जैन ने मार्च वित्त वर्ष की समाप्ति को लेकर कार्य अधिक होने का हवाला देते हुए रजिस्ट्रार का चार्ज संभालने से मना कर दिया। अब इसका चार्ज कंट्रोलर ऑफ एक्जामिनेशन डॉ. सुनील कुमार इंटोदिया के पास है। चार्ज सौंपे जाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। चार्ज एक के बाद दूसरे को दिए जाने का यह पत्र वायरल हो रहा है। हालांकि, रजिस्ट्रार डॉ. राठौड़ का कहना है कि इंटोदिया को चार्ज नियमानुसार दिया गया है।