लेटलतीफ राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल:-- न समय पर प्रवेश और परीक्षा, ना ही परिणाम; 15 हजार विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर
RPMC :--- Rajasthan paramedical council
प्रदेश की मेडिकल लैब टेक्नीशियन, रेडिएशन टेक्नोलोजी, ईसीजी, ऑपरेशन थिएटर जैसी कोर्स संचालित करने वाली संस्थाओं को मान्यता देने व रजिस्ट्रेशन करने वाली राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल की लेटलतीफ और लचर सिस्टम से 15 हजार विद्यार्थियों का भविष्य अधर में है। इसमें सत्र 2018-19 और 2019-20 के विद्यार्थी शामिल है। हालात ये है कि स्थापना के 9 साल बाद भी हालात नहीं सुधरने से प्रवेश से लेकर परीक्षा और परिणाम समय पर जारी नहीं होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
दो-दो साल की अवधि का कोर्स चार साल में भी पूरा नहीं होने से पैरामेडिकल विद्यार्थी अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे है। आज दिनांक तक किसी भी सत्र का शैक्षणिक कलैंडर तक नहीं बनाया। राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल में विभिन्न कोर्सेज के करीबन 9 हजार विद्यार्थी पंजीकृत है।
*ये हैं 5 बड़ी खामियां... जिनके चलते पैरामेडिकल विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है*
सत्र 2018-19 में प्रवेश लेने वाले छात्रों की साढ़े 3 साल में सिर्फ प्रथम वर्ष की परीक्षा ही आयोजित हुई है। सैकंड ईयर की परीक्षा कब लगेगी और कब परिणाम आएगा।
11 तरह के कोर्स तो संचालित कर दिए, लेकिन तीन में ही सरकारी नौकरियां मिल रही हैं। इनमें डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नीशियन, रेडिएशन टेक्नोलॉजी और ईसीजी टेक्नीशियन शामिल है। ऐसी स्थिति में हर साल तीन के अलावा अन्य कोर्सेज में सीटें खाली रह जाती है।
पैरामेडिकल स्टूडेंट्स की कॉपी जांचने का काम डॉक्टरों के हवाले होने से परिणाम सुधरने की बजाय बिगड़ रहा है। सत्र 2018-19 में प्रथम वर्ष का परीक्षा परिणाम 18% और सत्र 2019-20 का 22 फीसदी ही रहा है। जिसका प्रमुख कारण काॅपियां जांचने का काम डॉक्टर का होना है।
रजिस्ट्रेशन के दौरान बाहर से कोर्स करके आने वालों के दस्तावेज और संस्थानों की मान्यता की जांच के बाद ही प्रोसेस प्रारंभ करें। जिससे बाद में किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।
छात्रों के पंजीकरण और परीक्षा फीस से आने वाले पैसा किराए पर ही खर्च हो रहा है। अब तक किराए के ही एक करोड़ रु. से ज्यादा दे चुके है। खुद का भवन हो तो छात्रों का पैसा तो किराए में खर्च नहीं करने की बजाय किसी अन्य और काम में लगाया जा सकें।
परीक्षा की पेंडेंसी खत्म कर दी है। केन्द्र सरकार की ओर से बनाए गए ‘नेशनल कमिशन फॉर एलाइड हैल्थ केयर’ के कारण सत्र 2021-22 में होने वाले प्रवेश में कुछ देरी हो रही है। राज्य सरकार की ओर से अनुमति मिलने पर प्रवेश जल्द प्रारंभ कर देंगे। -डॉ. पी.के.माथुर, अध्यक्ष, राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल
*रजिस्ट्रार आरएएस क्यों?*
मेडिकल काउंसिल में डॉक्टर, नर्सिंग में नर्सिंग, फार्मेसी में फार्मेसी से संबंधित, इंडियन मेडिसन बोर्ड में आयुर्वेद, होम्योपैथी काउंसिल में होम्योपैथी डॉक्टर को रजिस्ट्रार के पद बैठा रहा है। लेकिन राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल में आरएएस को लगाने पर सवाल उठने लगे है।
*खुद का भवन नहीं होना पड़ेगा भारी*
पैरामेडिकल काउंसिल की ओर से मान्यता प्राप्त निजी संस्थानों का पांच साल में खुद का भवन नहीं बनवाया तो मान्यता खत्म की जा सकती है। काउंसिल ने प्रदेश की विभिन्न सस्थानों से भवन की सूचना मांगी है। नियमानुसार खुद का भवन नहीं होने पर मान्यता खतरे में पड़ सकती है।