चेतन तथा अचेतन मन में क्या अंतर होता है :--- what is the difference between conscious and unconscious mind
चेतन मन का छोटा भाग होता है अपनी चेतना अवस्था में व्यक्ति जो भी कार्य करता है वह चेतन है। जिन क्रियाओं के प्रति व्यक्ति जागरूक होता है वह चेतन स्तर पर होती है चेतन स्तर पर सामाजिक रूप में स्वीकृत अनुभूतियां प्रबल होती है चेतन मन का संबंध वर्तमान से होता है चेतना में निरंतरता का गुण पाया जाता है परंतु इसमें परिवर्तन होते रहते हैं तथा यह गायब नहीं होते हैं
जबकि अचेतन मन, मन का सबसे बड़ा भाग है। अचेतन क्रियाओं की जानकारी व्यक्ति को नहीं होती है यह व्यक्ति के मन का वह भाग होता है जिसका 9/10 भाग पानी में डूबा रहता है इन्हें व्यक्ति याद करके भी चेतन स्तर में लाना चाहे तो नहीं ला सकता क्योंकि यह विचार व इच्छाएं उसकी दमित इच्छाएं होती है यह अचेतन मन में निष्क्रिय न होकर सक्रिय रूप में रहती है
जीवनकाल की निरंतरता के रुप में विकास :---
हम जानते हैं कि विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो मृत्यु पर्यंत चलती है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विकास एक निरंतर प्रक्रिया है
मानव विकास की निरंतरता की अवधारणा विकासात्मक मनोविज्ञान के आधुनिक एवं यथार्थवादी विचारधारा है इस विचारधारा का केंद्रीय बिंदु यह है कि गर्भ में आने के साथ ही व्यक्ति में विकास का प्रारंभ हो जाता है तथा विकास की यह लंबी प्रक्रिया उसके भीतर जीवन भर चलती रहती है व्यक्ति में निरंतर घटित होते रहने वाले सर्जनात्मक और कार्यात्मक परिवर्तनों का नाम ही विकास है चाहे वह वृद्धि संबंधी हो अथवा हास संबंधी। जीवन के प्रारंभ में उत्पन्न होने वाले परिवर्तन मुख्य रूप से रचनात्मक होते हैं जीवन के उत्तरार्ध में घटित होने वाले परिवर्तन व्यक्ति के लिए हास्यात्मक होते हैं क्योंकि यह आयु वृद्धि के साथ-साथ अपनी दैहिक और मानसिक क्षमताओं में गिरावट का अनुभव करने लगता है
विकास को जीवन काल की निरंतरता के रूप में मानने वाले मनोवैज्ञानिकों का कथन है कि जीवन के पूर्वार्ध की अवस्थाओं में वृद्धि के साथ हास की घटनाएं भी जुड़ी होती है इन अवस्थाओं में उत्पन्न होने वाले नवीन आकृतियों के साथ ही पुराने आकृतियों का लोप हो जाता है इस प्रकार से हम उदाहरण की सहायता से देख सकते हैं कि दूध के दातों का गिरना स्थाई दातों के लिए रास्ता साफ करता है एलिसन क्लार्क ने भी कहा कि दोनों प्रकार के परिवर्तन व्यक्ति के भीतर जीवन भर साथ साथ घटित होते रहते हैं
निरंतर जीवन पर्यंत होते रहने वाले विकास को अंग्रेजी भाषा में Life long, Life time या Life span Development कहा जाता है। जीवनकालिक विकासात्मक मनोविज्ञान Life span Development Psychology गर्भाधान से लेकर जीवन के अंत तक की सभी अवस्थाओं और उनमें पैदा होने वाले सभी परिवर्तनों का विस्तृत परिदृश्य प्रस्तुत करता है।।