आमतौर पर हमें कौन-कौन से संवेग अनुभव होते हैं :-- ( What emotions do we usually experience? )
1. प्रेम (love) :--- प्रेम लगाव और आसक्ति से संबंधित एक सम्वेंग है जिसमें विभिन्न प्रकार की भावनाएं शामिल है प्रेम से अभिप्राय है किसी व्यक्ति या वस्तु के प्रति लगाव और प्यार की भावना होना ।यह एक धनात्मक सम्वेंग है। मनोविज्ञान की दृष्टि से प्रेम एक संज्ञानात्मक और सामाजिक प्रक्रिया है जिसके तीन तत्व होते हैं पहला है -- प्रगाढ़ता था जिसका अर्थ है दो व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन की व्यक्तिगत बातों को आपस में बांटना इसको मित्रता भी कहते हैं दूसरा तत्व है--- प्रतिबद्धता जिसका अर्थ है कि कोई संबंध स्थाई है। तीसरा है ---यौन आकर्षण जो विपरीत लिंग के संबंधों में दिखाई देता है प्रेम एक प्राथमिक सम्वेंग है जिसके अनेक गौण सम्वेंग भी होते हैं जैसे --आराधना(adoration), स्नेह(fondness) ,पसंद(liking) ,आकर्षण(attraction) ,देखभाल(caring),दया(compassion), कोमलता(tenderness), भावुकता(sentimentality), इच्छा (desire),वासना(lust) ,जुनून(passion) ,मोह (infaturtion) आदि।
2. हर्ष (Joy) :---
हर्ष एक ऐसी मानसिक और शारीरिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति आनंद की अनुभूति करता है सब व्यक्ति पूरी तरह संतुष्ट हो जाता है तो वह आनंद की अनुभूति करता है दार्शनिकों के अनुसार एक अच्छा और उनंत जीवन जीने का नाम ही हर्ष है हर्ष के कुछ द्वितीय और गौण सम्वेंग एक भी होते हैं -
(क) उत्साह (cheerfulness) -- उत्साह से संबंधित गोण संवेग है-- मनोरंजन,आनंद ,उल्लास, उत्साह, प्रसन्नता, खुशी ,संतोष, उल्लासोन्माद आदि।
(ख) उत्तेजकता (Zest) :--- उत्साह, रोमांस, आनंद।।
(ग) संतोष ( contentment) :-- संतोष, सुख ।।
(घ) गर्व (pride) :---- गौरव , विजय ।।
3. अचरज (surprise) :---
अचरज एक ऐसी संवेगात्मक स्थिति होती है जो किसी अचानक और अप्रत्याशित घटना के घटित होने का परिणाम होती है अचरज गौण , आनंददायी और दुखदायी भी हो सकता है। यदि अचरज व्यक्ति को स्थाई रूप से प्रभावित कर देता है तो इसे आघात कहते हैं अचरज के कारण निम्न शारीरिक बदलाव देखे जा सकते हैं - भौंहें तन जाना, आंखों के ऊपर की त्वचा खींच जाना, माथे पर झुरिया पड़ जाना, आंखों और मुंह खुला रह जाना आदि। अचरज का संवेग कुछ ही सेकंड के लिए होता है और इसके कारण खुशी, दुख, चिंता और भय जैसे संवेग उत्पन्न हो सकते हैं। अचरज से जुड़ा गौण सम्वेंग है। -- विस्मय और आश्चर्य।
4. क्रोध ( Anger ) :---
क्रोध एक सम्वेंग एक है जो किसी बाहरी खतरे और हानि की आशंका के कारण उत्पन्न होता है यह एक मानसिक, व्यवहारात्मक और शारीरिक प्रक्रिया है यह एक ऐसी अनुक्रिया है जो व्यक्ति किसी खतरे को रोकने के लिए करता है प्रायः क्रोध के कारण आदमी या अन्य जीवो में निम्न शारीरिक बदलाव दिखाई देते हैं -- माथे पर झुरिया दिखाई देना, होठों का कांपना, शरीर को बड़ा करके दिखाने की कोशिश करना, तेज आवाज में बोलना आदि। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि नियंत्रित क्रोध प्राणी के जीवन रहने की कोशिश का एक हिस्सा है लेकिन अनियंत्रित क्रोध का नकारात्मक प्रभाव होता है क्रोध से जुड़े दूसरे गौण संवेग है-- जलन ,खींझ, घृणा, विद्वेष, यातना।
5. उदासी ( Sadness ):----
उदासी एक सम्वेंग है जो किसी हानि,क्षति और असहाय होने की स्थिति में पैदा होता है। जब उदासी का सम्वेंग घटित होता है तो व्यक्ति चुप हो जाता है उसमें ऊर्जा की कमी आ जाती हैं और वह वातावरण से बचना चाहता है। उदासी को अस्थाई तौर पर मुंड का खराब होने के रुप में भी देखा जा सकता है जबकि निराशा का संबंध स्थायी तोर पर मूड के खराब होने से है। जब व्यक्ति उदास होता है तो वह रो भी सकता है उदासी से संबंधित दूसरे गौण संवेग है-- पीड़ा, दुख, निराशा, शर्म, अनदेखी और सहानुभूति।।
6. डर (Fear) :---
भय एक संवेगात्मक अनुक्रिया है जो किसी आने वाले खतरे के परिणाम स्वरुप होती है यह प्राणियों में जीवित रहने का आधारभूत तंत्र है वाटसन के अनुसार भय कुछ आंतरिक सम्वेंग का एक समूह है जिसमें आनंद , उदासी, क्रोध और चिंता आदि शामिल होते हैं। यह ध्यान रखना चाहिए कि चिंता डर से भिन्न होती है ।डर ऐसा व्यवहार है जो प्राणी को किसी ऐसी स्थिति से बचाने के लिए उपयोगी है जो उसके लिए खतरनाक हो सकती है जबकि चिंता एक ऐसे खतरे का परिणाम है जिसको टाला नहीं जा सकता है डर से संबंधित कुछ गौण सम्वेंग है --- सदमा, भय, आतंक, वैराग्य, चिंता, घबराहट, तनाव, बैचैनी और आंशका।।