योन भूमिकाओं को प्रभावित करने वाले कौन कौन से कारक है :---- What are the factors affecting vaginal roles
योन एक जटिल प्रकार का पद होता है जिसके अंतर्गत योन रूढ़ि प्रक्रिया तथा यौन भूमिकाओं दोनों को सम्मिलित किया जाता है। योन भूमिकाओं की पहचान इन पर प्रभाव डालने वाले कारक करवाते हैं बालक में लगभग दो वर्ष कि आयु तक लिंग पहचान के बारे में धारणा स्पष्ट हो जाती है अर्थत उनमें यौन पहचान स्थापित हो जाता है। बालक वह स्वयं को लड़का या लड़की के रूप में पहचानने लगता है।
योन आधारित भूमिकाओं में अनेक कारक भेदभाव उत्पन्न करने के लिए उत्तरदाई होते हैं आमतौर पर कारक योन भूमिकाओं को प्रभावित करते हैं --
1. पुरुषों पर निर्भरता :--- परिवारों में, विशेषकर भारत में महिलाओं को विभिन्न भूमिकाएं निभानी पड़ती है जैसे पत्नी, बहन, मां तथा दादी की। यही महिलाओं की नियति होती है। पुरुषों पर स्त्रियों कि निर्भरता योन भूमिकाओं को प्रभावित करती है।
2. रीति रिवाज :---
पहले लोग अपने परिवार अर्थात बालकों के साथ एक समुदाय के रूप में रहते थे अर्थात सामाजिक गतिशीलता का अभाव था। जीवन निर्वाह के लिए अन्य स्थानीय लोगों के साथ अन्तःक्रिया करना एक आवश्यकता थी। परिवार को आधार बनाकर मनोरंजन त्योहार आदि के कार्यक्रम तय किए जाते थे अर्थात योजना बनाई जाती थी इस प्रकार की क्रियाकलापों में महिलाएं सामाजिक जिंदगीयों में जकड़ी रहती थी।
3. शिक्षा का अभाव :---
शिक्षा का अभाव भी योन भूमिकाओं को प्रभावित कर रहा है शिक्षा को सामाजिक परिवर्तनों का मुख्य साधन माना जाता है शिक्षा के परिणाम स्वरूप सामाजिक गतिशीलता आती है तथा नए नए अवसर पैदा होता है अतः यौन भूमिकाओं में सुधार के लिए सशक्त औपचारिक शिक्षा की व्यवस्था आवश्यक है
4. बाहरी संसार से संपर्क का अभाव :---
वर्तमान समय में भी स्त्रियों को घर से बाहर निकलने के अवसरों के अभाव का सामना करना पड़ता है वह बाहरी संसार के संपर्क में नहीं रहती वह परिवार के भीतर रहकर ही अपनी-अपनी भूमिका निभाती है दूसरे शब्दों में महिलाएं परिवार तक ही सीमित रहती है बाहरी संसार में वह अलग-थलग पड़ी रहती है अतः इनमें से अभिवृत्तियां और कौशलों का विकास होना चाहिए जो उन्हें बाहरी संसार का सामना करने में सक्षम बना सकें यह कारक भी योन भूमिकाओं को प्रभावित करता है
इस प्रकार हम देखते हैं कि महिलाओं की भूमिकाओं में बहुत बदलाव आया है यह बदलाव पाश्चात्य शिक्षा नगरीकरण और औद्योगीकरण के प्रभाव के परिणामस्वरूप आया है इस प्रभाव के कारण प्राचीनता और आधुनिकता में द्वंद्व की स्थिति पैदा हुई है निसंदेह आधुनिक अभिवृत्तियों का विकास हुआ है महिला स्वतंत्रता आंदोलन से भी यौन भूमिकाओं में परिवर्तन हुए हैं
हर क्षेत्र में महिलाओं की संभागिता बढ़ाने के प्रयत्न किए गए कई कानूनी प्रावधान भी किए गए जैसे पंचायती राज महिलाओं के कल्याण के लिए निर्मित संस्थान इत्यादि। महिला सशक्तिकरण के लिए बनी योजनाओं के कारण भी यौन भूमिकाएं प्रभावित हुई है सरकारी संस्थानों के साथ साथ गैर सरकारी संस्थानों में भी ऐसे प्रयास किए गए हैं।
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