प्यारे दोस्तों आज हम व्याकरण शिक्षण विधियों में सूत्र शिक्षण विधि ( formula method ) का अध्ययन करेंगे।।
सूत्र विधि के जनक ---
सूत्र विधि के जनक संस्कृत के महान ज्ञाता पाणिनि के सूत्रों से उत्पन्न हुआ है हम कह सकते हैं कि सूत्र विधि के जनक गुरु पाणिनि है।।
सूत्र विधि का प्रवर्तक कौन है ---
सूत्र विधि संस्कृत साहित्य से उत्पन्न हुई है यह विधि व्याकरण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है इस विधि के द्वारा अध्यापक ब्लैक बोर्ड पर कुछ सूत्र लिख देता है इसके आधार पर विद्यार्थी इन सूत्रों के आधार पर अपना विषय या शीर्षक तैयार करते हैं और सूत्र इस प्रकार के होने चाहिए कि विद्यार्थी के ज्ञान परिधि में शामिल हो।। सूत्र विधि के द्वारा निबंध लेख भाषण व्याकरण आदि की रचना कर सकते हैं वह यह विधि काफी कारगर साबित होती है
सूत्र विधि का अन्य नाम क्या है ---
सूत्र विधि वैसे तो संस्कृत साहित्य से उत्पन्न हुई है या संस्कृत साहित्य से ली गई है
सूत्र विधि का दूसरा नाम पांडित्य विधि भी है।
सूत्र विधि के गुण ----
1. व्याकरण के जो नियम होते हैं उन्हें सूत्रों के रूप में रटा दिया जाता है फिर इनके उदाहरण देकर सूत्रों की उपयोगिता बता दी जाती है
2. सूत्र विधि नियम से उदाहरण की ओर जाती है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यह निगमन विधि का रूप है
3. जहां पाठ्य पुस्तकों में बड़े-बड़े नियम याद कराए जाते हैं लेकिन इस विधि में छोटे-छोटे सूत्र याद कराए जाते हैं
4. इस विधि में समय और श्रम की बचत होती है
5. यह विधि बड़ी कक्षाओं के लिए उपयोगी होती है
6. इस विधि के द्वारा छात्रों की स्मरण शक्ति में विकास होता है
सूत्र विधि के दोष ---
1. सूत्र विधि के द्वारा बालकों में रखने की प्रवृत्ति का विकास होता है
2. इस विधि को अमनोवैज्ञानिक विधि माना जाता है
3. यह विधि छोटी छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं मानी गई है ।
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