प्यारे दोस्तों आज हम शिक्षण विधियों में व्याख्यान विधि का अध्ययन करेंगे जो की बहुत ही सरल एवं सुबोध विधि है
व्याख्यान विधि एक सबसे प्राचीन विधि है इस विधि में अध्यापक एक-एक शब्द का अर्थ स्पष्ट करता है और छात्र सामने बैठकर सुनते रहते हैं
व्याख्यान विधि के जनक कौन है ---
व्याख्यान विधि के जनक महान दार्शनिक सुकरात को माना जाता है जोकि यूनान के रहने वाले थे ।। सुकरात एक महान दार्शनिक था व्याख्यान विधि सबसे प्राचीन विधि है यह विधि बहुत ही सरल है क्योंकि इसमें बालक निष्क्रिय रहता है और अध्यापक सक्रिय रहते हुए बालकों को इस विधि से ज्ञान प्रदान करता है।
व्याख्या और व्याख्यान में क्या अंतर है --
व्याख्यान के अंतर्गत किसी विषय से संबंधित भाषण द्वारा विस्तार पूर्वक ज्ञान कराया जाता है और व्याख्यान के द्वारा शिक्षक किया जाता है कि जो मैं कहता हूं उसे सुनकर बालक उसे समझे
व्याख्या के अंतर्गत कहानी किस्सा और घटना को कहा जाता है
व्याख्यान विधि का दूसरा नाम क्या है -----
व्याख्यान विधि का दूसरा नाम अंग्रेजी में इसे (lecture method) कहा जाता है और इस विधि को प्रभुत्व वादी विधि कहा जाता है तथा इस विधि को शिक्षक केंद्रीय विधि भी कहा जाता है
व्याख्यान विधि से संबंधित कुछ परिभाषाएं ---
थॉमस एम रिस्क के अनुसार --- व्याख्यान उन तथ्यों सिद्धांतों प्रत्ययों व संबंधों का स्पष्टीकरण है जिन्हें शिक्षक चाहता है कि उसे सुनने वाले उसे समझे ।
बाइनिंग एंड बाइनिंग के अनुसार --- बड़ी बड़ी कक्षाओं में प्रयोग की जाने वाली पद्धति व्याख्यान विधि कहलाती है एवं इस विधि को व्यवहारिक विधि भी कहते हैं
व्याख्यान विधि के प्रमुख सोपान कौन-कौन से हैं ---
1. प्रकरण या विषय वस्तु का निर्धारण करना
2. अध्यापकों द्वारा व्याख्यान बनाना
(अ) पूर्व ज्ञान निर्धारण (ब) उद्देश्य निर्धारित करना
(स) पाठ्यवस्तु की रूपरेखा तैयार करना
(द) उदाहरणों को स्थान देना
3. प्रस्तुतीकरण करना
4. सारांश प्रस्तुत करना
5. मूल्यांकन करना
व्याख्यान के प्रकार ---
ब्राउन महोदय ने व्याख्यान के निम्नलिखित प्रकार बताए हैं जो आपके सामने निम्न है
1. शास्त्रीय व्याख्यान
2. अनु क्रमिक व्याख्यान
3. समस्या केंद्रित
4. तुलनात्मक व्याख्यान
5. शोध व्याख्यान
व्याख्यान विधि के गुण ---
व्याख्यान विधि में शब्दों के अर्थ भली-भांति स्पष्ट हो जाते हैं और यह विधि अध्यापकों के लिए सुविधाजनक होती है क्योंकि इस विधि के द्वारा कक्षा में आते ही शिक्षक व्याख्यान देने लगता है और व्याख्यान पूरा कर कक्षा से चला जाता है इस विधि में शिक्षक सक्रिय रहता है और बालक निष्क्रिय रहता है साथ ही इस विधि से छात्रों की शब्दावली में वृद्धि हो जाती है।
व्याख्यान विधि में समय की बचत होती है और शर्म की भी बचत होती है साथ ही धन की भी बचत होती है।
व्याख्यान विधि के दोष ---
1.व्याख्यान विधि के द्वारा छात्रों में रटने की प्रवृत्ति का विकास हो जाता है ।
2.यह विधि कमजोर बालकों के लिए उपयोगी नहीं है
3.इस विधि का प्रमुख दोष यह है कि इस विधि में विद्यार्थियों की सहभागिता नहीं होती है क्योंकि विद्यार्थी मुक्त स्रोत बने रहते हैं क्योंकि छात्र निष्क्रिय रहते हैं
4.यह विधि बड़ी बड़ी कक्षाओं के लिए उपयोगी होती है।
