👉 प्यारे दोस्तों आज हम शिक्षण विधियों में प्रदर्शन विधि का अध्ययन करेंगे ।।
प्रदर्शन विधि किसे कहते हैं ---
किसी भी घटना को दृश्य के रूप में प्रस्तुत करना तकनीकी भाषा में प्रदर्शन कहलाता है कभी-कभी बालक कुछ शब्दों के अर्थ समझने में कठिनाई महसूस करता है यानी बालकों को कठिन शब्द समझ में नहीं आते हैं तब अध्यापक उन कठिन शब्दों को कक्षा में प्रदर्शित करें बालकों को उन शब्दों का शब्दार्थ समझाते हैं।
👉👉 व्यक्तित्व निर्माण के सिद्धांत
वस्तु का चित्र बनाकर भी उस वस्तु का बोध कराया जा सकता है पर यह तरीका इतना प्रभावी नहीं होता है जितना की वस्तु के प्रदर्शन द्वारा उसका ज्ञान प्राप्त होता है
प्रदर्शन विधि शिक्षण की एक सुंदर विधि है
प्रदर्शन विधि में शब्दार्थ का ज्ञान बहुत ही अच्छी तरीके से प्राप्त होता है
प्रदर्शन विधि कौन सी विधि है ----
प्रदर्शन विधि मनोवैज्ञानिक विधि है।
प्रदर्शन विधि का महत्व क्या है ----
1. प्रदर्शन विधि शिक्षण विधियों में सबसे उत्कृष्ट विधि मानी जाती है
2.प्रदर्शन विधि में शिक्षक और विद्यार्थी दोनों ही सक्रिय रहते हैं जिससे उन दोनों के मध्य अच्छा वातावरण बन जाता है
3.इस विधि में छात्र प्रतिक्रिया को देखकर उसके संबंध में वास्तविक ज्ञान प्राप्त करता है
4.प्रदर्शन विधि साहित्य शिक्षण में कम काम आती है किंतु विज्ञान चित्रण में सर्वाधिक उपयोगी होती है
5. प्रदर्शन विधि करके सीखने के सिद्धांत पर कार्य करती है हम कह सकते हैं कि यह विधि मूर्त से अमूर्त शिक्षण सूत्र का प्रयोग किया जाता है
प्रदर्शन विधि के गुण ---
1. यह एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक विधि है
2. इस विधि में विषय वस्तु का अच्छी तरीके से स्पष्टीकरण किया जाता है
3. प्रदर्शन विधि में अध्यापक और विद्यार्थी दोनों ही सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभाते हैं जिससे उनके मध्य तालमेल बना रहता है
4. प्रदर्शन विधि से प्राप्त ज्ञान स्थाई ज्ञान होता है
5. यह विधि छोटी छोटी कक्षाओं के लिए काफी ज्यादा लाभदायक होती हैं क्योंकि इसमें बालक प्रयोग प्रदर्शन में अधिक रूचि लेते हैं जिससे उनको सीखने को ज्यादा मिलता है
6. प्रदर्शन विधि के द्वारा छात्रों को प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त होता है और उनमें खोजने विचारने की प्रवृत्ति का विकास होता है
7. इस विधि में छात्रों की शक्ति में वृद्धि होती है
8. यह विधि अपनाने से अध्यापकों के कार्यों में सहायता मिलती है इस विधि से अध्यापकों को कम परिश्रम करना पड़ता है
9. अध्यापकों द्वारा प्रदर्शन विधि से पढ़ाया गया ज्ञान के द्वारा छात्रों का मानसिक विकास में वृद्धि होती है
10. इस विधि में खर्चा कम आता है और अध्यापक को कम बोलना पड़ता है जिससे अध्यापक की ऊर्जा खर्च नहीं होती है और अध्यापक लंबे समय तक पढ़ा सकता है
प्रदर्शन विधि के दोष -----
1. प्रदर्शन विधि शिक्षक केंद्रित विधि मानी जाती है
2. इस विधि में अनुभवी शिक्षकों की आवश्यकता होती है
3. इस विधि के द्वारा छात्रों में अनुशासन का अभाव रह जाता है
4. प्रदर्शन विधि को पाठ्यक्रम के अनुकूल नहीं माना गया है।
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