ऐसे RAS ऑफिसर जो 19 बार FAIL हुए : --- दसवीं की 2 मार्कशीट, 23 की उम्र में IPS; जिसे स्कूल ने निकाला वो आज DIG
सफलता की शायरी जो आपके साथ साझा कर रहा हूं जिसे आपके आत्म विश्वास में वृद्धि हो जाए इससे आपको लगे कि हम भी सफल हो सकते हैं सफल होने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ती है बहुत तपना पड़ता है तब जाकर सफलता अपने कदम चूमती है
अपने जीवन में फेल होकर भी सफलता पाने वाले कुछ व्यक्तियों की कहानी आपके साथ साझा कर रहा हूं जो सफल होकर RAS बने ।।
चलना है तब-तक, जब-तक
मंजिल ना मिल जाएं
चाहे आंधी आएं या तूफान आएं
दसवीं में फेल होकर कैसे बने RAS ऑफिसर ---
एक लड़का अलग-अलग एग्जाम में 19 बार फेल हुआ। एक को 10वीं पास करने में दो साल लगे। एक लड़की तो दसवीं के हाफ ईयरली एग्जाम में फेल हो गई। वहीं एक लड़के को दसवीं में कम नंबर आने के कारण स्कूल से निकाल दिया गया। सोचिए अगर मार्कशीट ही योग्यता का पैमाना हो तो इन चारों का क्या होता? लाइफ खत्म?
लेकिन ऐसा हुआ नहीं, मार्कशीट किसी की भी योग्यता का पैमाना नहीं हो सकता, इनका भी नहीं था।
जो 19 बार फेल हुआ, उसी ने RAS एग्जाम में 55वीं रैंक हासिल की। 2 बार में दसवीं पास करने वाला महज 23 साल की उम्र में IPS बन गया। जो लड़की हाफ ईयरली एग्जाम में फेल हो गई थी, वही आज श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की प्रिंसिपल सेक्रेटरी है और जिस लड़के को स्कूल ने 11वीं में एडमिशन देने से इनकार कर दिया था, वो आज पुलिस में DIG है।
आज की ये खबर इन्हीं फेलियर्स और इनकी मार्कशीट के बारे में है।
अब आप सोच रहे होंगे, इन दिनों जब राजस्थान में रिजल्ट का मौसम है, हर तरफ सक्सेस स्टोरीज की बात हो रही है। टॉपर्स की मार्कशीट शेयर की जा रही तो हम गर्व के साथ फेलियर की मार्कशीट क्यों दिखा रहे हैं?
इसका जवाब है वो बच्चे जो एग्जाम में कम नंबर आने पर इतने तनाव में आ जाते हैं कि सुसाइड कर लेते हैं, डिप्रेशन में चले जाते हैं।
लगातार ऐसे मामले सामने आने के बाद हमने उन अधिकारियों से बात की जो खुद बोर्ड एग्जाम में असफल रहे थे। भास्कर के आग्रह पर उन्होंने अपनी फेलियर की मार्कशीट भी शेयर की।
पढ़िए 4 फेलियर स्टोरी…....
RAS दलपत सिंह :---- 12वीं में 2 बार फेल हुए
तेरे हौसलों के वार से
रुकावट कि दीवार जरूर गिरेगी
तुम देख लेना सफलता जरूर मिलेगी
RAS दलपत सिंह मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में वित्त नियंत्रक अधिकारी के पद पर पोस्टेड हैं। दलपत सिंह से बेहतर शायद ही कोई जानता होगा कि फेलियर का मतलब फुल स्टॉप नहीं है। अलग-अलग एग्जाम में वे 19 बार फेल हुए।
जब भी एग्जाम देते पड़ोसी, दोस्त-रिश्तेदार मजाक उड़ाते :---
दलपत सिंह राठौड़ ने बताया कि 1991 में 10वीं महज एवरेज नंबर से पास की। 12वीं में 1993 से 1994 तक फेल हुए। 1995 में ग्रेस मार्क से पास हुए। फर्स्ट ईयर में 1996 से 99 तक चार बार फेल हुए और वर्ष 2000 में BA पूरी किया। इस दौरान PMT, BSTC, PET, कृषि विभाग, STE और नर्सिंग की कई परीक्षाएं दीं, सबमें असफल हुए।
साल 2003 में उनके बचपन के दोस्त अविनाश चंपावत को IAS में ऑल इंडिया में दूसरी रैंक मिली। दलपत ने तय किया कि वो भी IAS का एग्जाम देंगे, लेकिन दूसरे ही अटेम्प्ट में ओवरएज हो गए। इसके बाद भी हार नहीं मानी।
RAS परीक्षा का विकल्प खुला था। उसी में जुट गए और तीसरे चांस में RAS परीक्षा-2008 में 55वीं रैंक लाने में कामयाब हुए। इसका रिजल्ट 2011 में आया और उन्हें लेखा सेवा का कैडर मिला।
Ias Vs Army Officer in Hindi ---
आईएएस अफसर और आर्मी अफसर में बहुत ज्यादा फर्क होता है आईएएस अफसर फील्ड में काम करते हैं समाज की देखरेख करते हैं समाज के प्रति कार्य करते हैं जबकि आर्मी ऑफिसर देश की रक्षा करते हैं सेना की देखरेख करते हैं जवानों को ट्रेनिंग देते हैं और हमारे भारत देश की रक्षा करते हैं
जगदीश बांगड़वा :---- दसवीं में फेल, 23 की उम्र में IPS बने
चलना है तब-तक, जब-तक
मंजिल ना मिल जाएं
चाहे आंधी आएं या तूफान आएं
जगदीश 2018 में 23 साल की उम्र में IPS बन गए। 26 साल की उम्र में दीक्षांत समारोह के बाद उन्होंने गुजरात कैडर जॉइन किया और फिलहाल गुजरात के दाहोद ASP के पद पर पोस्टेड हैं। उनकी गिनती तेज तर्रार पुलिस अफसरों में होती है।
इतने काबिल ऑफिसर भी 10वीं में फेल हो गए थे। राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव बायतु कस्बे के रहने वाले जगदीश बांगड़वा ने दूसरे अटेम्प्ट में दसवीं का एग्जाम क्लियर किया। 12वीं में गणित में महज 38 अंक मिले थे, लेकिन मार्कशीट जगदीश का हौसला डिगा नहीं पाई। उन्होंने कड़ी लगन और मेहनत के साथ पढ़ाई जारी रखी। 2018 में भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा दी और उन्हें 486वीं रैंक हासिल की।
IPS आकाश कुलहरि :---- कम नंबर आए तो स्कूल ने निकाल दिया
बीकानेर के रहने वाले IPS आकाश कुलहरि UP पुलिस के फायर डिपार्टमेंट के DIG हैं। इससे पहले वे कानपुर के एडिशनल पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं।
आकाश बीकानेर के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते थे। साल 1996 में उन्होंने 10वीं का एग्जाम दिया, 57% नंबर आए। कम नंबर आने के बाद स्कूल ने निकाल दिया।
आकाश ने हार नहीं मानी और इसके बाद कड़ी मेहनत की और 12वीं के बोर्ड एग्जाम में 85 प्रतिशत नंबर हासिल किए। इसके बाद 2001 में दुग्गल कॉलेज बीकानेर से BCom और दिल्ली की JNU यूनिवर्सिटी से MCom किया। 2005 में MPhil और साल 2006 में पहले प्रयास में ही आकाश ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर ली।
IAS अंजू शर्मा :--- हाफ ईयरली एग्जाम में फेल हो गई थीं
जयपुर की रहने वाली IAS अंजू शर्मा गुजरात के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं। अंजू लेखिका भी हैं। उन्होंने एक किताब लिखी है 'आई ऑफ द स्टॉर्म- डिस्कवर योर ट्रू सेल्फ' जो काफी चर्चित रही। अंजू बताती हैं फेलियर आपको जो सिखाता है, वो सक्सेस नहीं सीखा सकती। मैं 1993 में दसवीं क्लास में थी। हाफ ईयरली एग्जाम में फेल हो गई। फेल होने से तनाव में आई, लेकिन ये जरूर सीखा कि किसी भी काम को करने के लिए प्लानिंग कितनी जरूरी होती थी। मैंने संकल्प ले लिया कि जो भी एग्जाम होगा, पहले से मजबूत तैयारी करूंगी। उस फेलियर से मिले सबक ने मेरी पूरी जिंदगी बदल दी।

