प्यारे दोस्तों आज हम शिक्षण विधियों में से वाचन शिक्षण की विधि का अध्ययन करेंगे ।।
वाचन शिक्षण विधि को अंग्रेजी में -- Reading Teaching Method कहा जाता है ।
वाचन विधि क्या है ---
वाचन शब्द संस्कृत की वच् धातु से बना है जिसका अर्थ होता है कि - बोलना और बालक को पढ़ना सिखाना वाचन शिक्षण के अंतर्गत आता है
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ध्वनि वाचन शिक्षण की विशिष्ट मानी जाती है ध्वनि के बिना वाचन करना असंभव होता है वाचन करने से पहले छात्रों का शब्दकोश अच्छा होना चाहिए उन्हें शब्दों का ज्ञान होना चाहिए जिससे कि वह वाचन कर सकें ।
दशिक्षा के क्षेत्र में वाचन से तात्पर्य होता है कि - अर्थ ग्रहण करना
इस विधि में सबसे पहले अध्यापक विषय वस्तु का वाचन करता है जिसे हम आदर्श वाचन कहते हैं उसके बाद छात्र उसका अनुकरण करते हैं इस विधि में शुद्ध उच्चारण करना बहुत ही आवश्यक है जिन बच्चों का शब्दकोश बच्चा होता है उन्हें अनुकरण कराया जाता है तथा जिन का शब्दकोश अच्छा नहीं है उन्हें मौन वाचन कराया जाता है । अनुकरण वाचन के समय शिक्षक को सजग और सतर्क रहना पड़ता है
वाचन के क्या-क्या उद्देश्य होते हैं ----
1. भावों को समझने की क्षमता उत्पन्न करना ।
2. छात्रों को शुद्ध उच्चारण का अभ्यास कराना ।
3. छात्रों की अभिव्यक्ति की क्षमता बढ़ाना ।
4. छात्रों में पढ़ते समय लिपिबद्ध विचारों के अर्थ ग्रहण करने की क्षमता उत्पन्न करना।
5. छात्रों को त्वरित गति से पढ़ने का अभ्यास कराना ।
6. छात्रों में कहानियां कविता नाटक उपन्यास तथा समाचार पत्रों के पढ़ने के प्रति रूचि बढ़ाना ।
वाचन का महत्व क्या होता है ---
डॉ. धरनाथ चतुर्वेदी के अनुसार -- वाचन एक कला है यह ज्ञानार्जन की कुंजी है । अगर छात्रों में वाचन शक्ति ठीक रहने पर ही मनुष्य जटिल से जटिल विषय पढ़कर समझ सकता है तथा पढ़ें हुए अंश का सार खोलकर या लिखकर व्यक्त कर सकता है ।
वाचन शिक्षण का क्या क्रम होता है -----
छात्रों को वाचन के विभिन्न स्तरों पर निर्गुण बनाया जाता है
वाचन शिक्षण की कितनी अवस्थाएं होती हैं --
वाचन शिक्षण की तीन अवस्थाएं होती हैं जोकि निम्नलिखित है
1. पुस्तकों के पढ़ने के लिए रुचि उत्पन्न करना।
2. शब्द , वाक्यांशों व वाक्यों का बोध कराना ।
3. गंभीर की प्रवृत्ति उत्पन्न करना , विश्लेषण एवं निष्कर्ष की भी क्षमता उत्पन्न करना ।
वाचन शिक्षण की कौन-कौन सी विधियां हैं ----
वाचन शिक्षण की दो विधियां होती है जो निम्नलिखित हैं
1. संश्लेषण विधि
2. विश्लेषण विधि
वाचन शिक्षण की विधियों का हम अध्ययन करते हैं
1. संश्लेषण विधि ---
(क) अक्षर बोध विधि -- अक्षर बोध विधि प्राचीन विधि है इस विधि में वर्णमाला के अक्षरों का ज्ञान कराया जाता है जब वर्णमाला के अक्षरों का ज्ञान हो जाता है तो छात्रों को शब्द बनाना सिखाया जाता है और शब्दों को जोड़कर वाक्य की रचना करना सिखाया जाता है
(ख) ध्वनि साम्य विधि -- इस विधि से बालक अक्षर से शब्द की ओर बढ़ता है बालकों को अक्षर ज्ञान के साथ-साथ ध्वनि साम्य वाले शब्दों का भी ज्ञान कराया जाता है यह विधि प्रारंभिक कक्षा में ठीक रहती है
2. विश्लेषण विधि ---
(क) देखो और कहो विधि -- देखो और कहो विधि में छात्रों को न तो पहले अक्षरों का ज्ञान कराया जाता है और मैं ही उनकी दवाइयों का ज्ञान कराया जाता है इस विधि में बालकों को पहले शब्दों का परिचय कराया जाता है छात्रों को चित्रों के माध्यम से शब्दों को पहचानने दिया जाता है यह पद्धति बड़ी आकर्षक और रोचक होती है
(ख) वाक्य शिक्षण विधि -- यह विधि देखो और कहो विधि का ही परिवर्तित रूप है
(ग) अनुकरण विधि --- इस विधि में अध्यापक शब्दों का उच्चारण करता है फिर बालक उन शब्दों का अनुकरण करते हैं
(घ) कहानी विधि --- कहानी विधि को हम वाक्य शिक्षण विधि का दूसरा रूप कह सकते हैं इस विधि में छोटे बालकों के लिए विशेष रूप से लाभदायक होती है
(च) भाषा शिक्षण यंत्र विधि -- इस विधि में अध्यापक के स्तर पर ग्रामोफोन रिकॉर्ड का प्रयोग शुद्ध उच्चारण के लिए किया जाता है
(छ) सामूहिक पठन विधि --- इस विधि में कक्षा में उपस्थित सभी विद्यार्थी एक समूह में होकर अनुकरण करते हैं
(ज) कविता विधि -- वाक्य कविता की पंक्तियों के रूप में होते हैं

