प्यारे विद्यार्थियों आज हम NCF-2005 के बारे में अध्ययन करेंगे और जानेंगे कि NCF-2005 क्या है तथा इसके प्रयोग से विद्यार्थियों को क्या लाभ होता हैं।
शिक्षा बिना बोझ ( education without burden ) के विचार कब दिया गया :-- 1993 में दिया गया।
शिक्षा बिना बोझ के विचार किसने दिया था :-- प्रो. यशपाल ने
प्रो. यशपाल द्वारा NCF-2005 में 21-फोकस समिति का गठन किया गया ।
पाठ्यचर्या ( Curriculum ) का अर्थ क्या होता है :---
दौड़ का मैदान ।
NCF-2005 का आलेख :---
NCF-2005 कि शुरुआत रविन्द्र नाथ टैगोर के निबंध "सभ्यता और प्रगति" से एक उदाहरण से हुई।।
NCF-2005 का प्रमुख कार्य NCERT पाठ्यक्रम में सुधार लाने हेतु ।
NCF-2005 के प्रमुख 5 मार्गदर्शन सिद्धांत :----
1. ज्ञान को विद्यालय के बाहरी जीवन से जोड़ना ।
2. पढ़ाई को रटन्त प्रणाली से मुक्त करना।
3. पाठ्यचर्या को इस तरह आगे बढ़ाना कि वह बच्चों के चहुंमुखी विकास के अवसर दे न कि पाठ्य पुस्तक केन्द्रित बनकर रह जाए।
4. परीक्षा को पहले की तुलना में लचीला बनाना और उसे कक्षा कक्ष की गतिविधियों को जोड़ना ।
5. बच्चों को ऐसे नागरिकों के रूप में विकास जिनमें प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत राष्ट्रीय मूल्यों में आस्था हो।
NCF-2005 से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण बिंदु :----
1. सीखना अपने आप में सक्रिय व सामाजिक गतिविधि है ।
2. सीखने में विविधता और चुनौतियां होनी चाहिए ताकि वह बच्चों को रोचक लगे और व्यस्त रखें
3. संपूर्ण पाठ्यक्रम की संरचना बालक को केंद्र में रखकर करने की सिफारिश की गई ।
4. नवीन शिक्षण विधियां तथा नवीन शैक्षिक तकनीकी का उपयोग करने पर बल दिया गया ।
5. पाठ्यक्रम की संरचना में पर्यावरणीय मुद्दों को प्राथमिकता में शामिल किया जाए ।
6. शिक्षा सार्थक तभी है जब व्यक्ति को इतना समर्थ बना सकें कि वे शांति को जीवन शैली के रूप में चुन सकें लेकिन वे सामाजिक संघर्षों का एक मूकदर्शक बनकर न रह जाए ।
7. मोटे पाठ्यक्रम और मोटी किताबें शिक्षा प्रणाली की असफलता का प्रतीक है ।
8. शिक्षण सूत्र और जैसे - ज्ञात से अज्ञात की ओर, मूर्त से अमूर्त की ओर, आदि का अधिकतम प्रयोग हो ।
9. मूल्यों को उपदेश देकर नहीं वातावरण देकर स्थापित किया जाए ।
10. सह शैक्षिक गतिविधियों में बच्चों के अभिभावकों को भी जोड़ा जाए ।
11. विद्यालयों में सभी प्रकार के शारीरिक दंडों को रोकने की सख्त जरूरत है ।
12. बच्चे उसी वातावरण में सीख सकते हैं जहां उन्हें लगे कि वे महत्वपूर्ण है ।
13. खेल, आनंद व सामूहिकता की भावना के लिए है रिकॉर्ड बनाने व तोड़ने की भावना को प्रश्रय ना दें ।
14. बच्चों की अभिव्यक्ति में मातृभाषा स्थान रखती है शिक्षक अधिगम परिस्थितियों में इसका उपयोग करें ।
15. ऐसी पुस्तक महत्वपूर्ण होती है जो केवल तथ्यात्मक जानकारी न देकर अंतर्क्रिया के मौके दे ।
16. विद्यालय में सप्ताह में 1 घंटा पुस्तकालय अध्ययन को दिया जाना चाहिए पुस्तकालय में बच्चों को स्वयं पुस्तक चुनने का अवसर दें ।
17. कल्पना व मौलिक लेखन के अधिक से अधिक अवसर प्रदान किए जाएं ।
18. मिड डे मील कार्यक्रम और स्वास्थ्य जांच को पाठ्यचर्या का अनिवार्य भाग बनाया जाना चाहिए ।
19. शिक्षक प्रशिक्षण व विद्यार्थियों के मूल्यांकन को सतत प्रक्रिया रूप में अपनाया जाए ।
20. बच्चों को पाठ्यचर्या में आए भौतिक स्थलों का अवलोकन कराकर शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है ।
21. कक्षा 2 तक कोई ग्रहकार्य नहीं देना चाहिए और 3 से 2 घंटे प्रति सप्ताह तक ग्रहकार्य देना चाहिए । उच्च प्राथमिक में 1 घण्टा प्रतिदिन, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक में 2 घंटे प्रतिदिन ।

