बाल चिन्तन किसे कहते हैं :---
what is child thinking
बालकों में पाया जाने वाला चिन्तन बाल चिन्तन कहलाता है ।
बाल चिन्तन के प्रकार :---
How many types of child thinking are there
1. संजीव चिंतन किसे कहते है :---
जब एक छोटा बालक किसी भी वस्तु को देखता है तो वह उसे संजीव मानकर ही व्यवहार करता है तथा वह उसके साथ अपना व्यवहार जोड़कर बताता है ।
जैसे :--- बादलों की ओट में आये सूर्य को देखकर बोलता है आज सूर्य उदास है।
2. प्रत्यक्षात्मक चिंतन किसे कहते है :---
पूर्व अनुभव के आधार पर जब एक बालक किसी प्रत्यक्ष परिस्थिति में व्यवहार करता है तो वह प्रत्यक्षात्मक चिंतन व्यवहार होता है ।
जैसे :-- एक बालक को उसके दादा नियमित रूप संध्याकाल के समय घर आते ही टाॅफी देते है तो वह बालक अगले दिनों में दादा को देखते ही उनकी तरफ भाग कर जाने लगता है ।
3. काल्पनिक चिन्तन किसे कहते है :---
एक बालक अपने पूर्व अनुभवों के भविष्य को लेकर सोच बनाता है या कल्पना करता है तो वह काल्पनिक बाल चिन्तन होता है ।
जैसे :-- सुबह जब दादा काम के लिए निकलते हैं तब ही बालक सोचने / कल्पना करने लगता है कि संध्याकाल में दादा उसके लिए टाॅफी लाने वाले हैं ।
4. प्रत्यात्मक चिंतन किसे कहते है :---
पूर्व अनुभवों के आधार पर ढीक वैसा कार्य व्यवहार नहीं होता है तो बालक में प्रत्यय (विचार ) पैदा होता है और वह संबंधित व्यक्ति कार्य व्यवहार का नाम उच्चारित करने लगता है ।
जैसे :-- दादा घर पहुंचने पर अपनी गाड़ी को ठीक से खड़े करने लग गए और बालक पर ज्ञान नहीं गया तब बालक जोर से बोलता है "दादा"
5. तार्किक चिंतन किसे कहते है :---
जब बालक परिपक्वता की दिशा में आगे बढ़ता है तो धीरे-धीरे उसमें भी तर्क करने की क्षमता आने लगती है और वह तार्किक चिंतन का प्रदर्शन करता है विशेषकर 9 से 11 वर्ष की आयु में बालक इस प्रकार का चिंतन प्रकट करता है ।।
यह सर्वोत्तम /उच्च स्तर का चिंतन माना जाता है ।
