गणित की भाषा कैसी होती है ? :----
गणित अंकों, अक्षरों, चिन्हों, संकेतों आदि के द्वारा बनी हुई विषय वस्तु है , इसलिए इसकी भाषा में वह सभी वस्तुएं सम्मिलित हो जाती है जो गणित में पद , सूत्र , समीकरण, संक्रिया के रूप में होते हैं।
गणित की भाषा विश्व स्तर पर एक समान रूप से उपयोग में लाई जाती है इसलिए सार्वभौमिक कहलाती है तथा संपूर्ण विश्व में सर्वाधिक उपयोग में आने वाली भाषा है ।
गणित वे विषय है जो संपूर्ण विश्व में व्यवस्थाओं को बनाए रखने के दृष्टिकोण से एक सम्मान प्रकार से योगदान देता है ।
गणित के विभिन्न क्षेत्रों में मूल्य :---
हमारी बुद्धि की कार्यशैली उस औजार की तरह होती है जिसको जितना अधिक उपयोग में लाया जाता है वह उतना ही अधिक कार्य कर पाता है गणित एक ऐसा विषय है जिसमें व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की संक्रिया करनी होती है जिसमें बुद्धि का अधिकतम उपयोग होता है गणित की समस्याओं का समाधान प्राप्त करते समय ये देखा जाता है कि एक व्यक्ति को बहुत अधिक सोचना समझना विचार ना पड़ता है और सोचने समझने विचारने के आधार पर तर्क और चिंतन का विशेष रूप से उपयोग होता है जैसा कि -
जॉन लॉक ने कहा था :-- गणित वह मार्ग गया जिसके द्वारा बच्चों के मन और मस्तिष्क में तर्क करने की आदत पैदा होती है
गणित वह विषय वस्तु है जो बालक में वास्तविक एवं सत्य प्रमाण प्राप्त करने की दिशा प्रदान करती है
जैसा कि डटन महोदय ने लिखा है :--- गणित तर्क समत यथार्थ विचार एवं सत्य बोलने की शक्ति प्रदान करता है।
गणित से यदि एक बालक को विशेष प्रयासों के साथ जोड़ा जाता है तो निश्चित रूप से वह बालकों के चिंतन व तार्किक शक्तियों को प्रदान करता है जिससे बालक में सोचने समझने की शक्ति को प्रशिक्षण मिलता है
जैसा की प्लेटों ने कहा था :--- गणित एक ऐसा विषय है जो बालक की मानसिक शक्तियों को प्रशिक्षित करने के अवसर प्रदान करता है ।
गणित के विभिन्न क्षेत्रों में कौन-कौनसे मूल्य होते है :---
1. प्रयोगात्मक मूल्य एवं गणित
2. अनुशासन संबंधित मूल्य
3. नैतिक मूल्य एवं गणित
4. सांस्कृतिक मूल्य एवं गणित
5. सौन्दर्यात्मक मूल्य एवं गणित
6. व्यवसायिक मूल्य एवं गणित / जीविकोपार्जन
7. मनोवैज्ञानिक मूल्य एवं गणित
8. वैज्ञानिक मूल्य एवं गणित
9. अंतरराष्ट्रीय मूल्य एवं गणित
NCERT के अनुसार गणित के कौन कौनसे उद्देश्य है :---
1. ज्ञानात्मक
2. अवबोधात्मक
3. प्रयोगात्मक
4. कौशलात्मक
5. अभिरूच्यात्मक
6. अभिवृत्यात्मक
